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श्रृंगार चंवरी

 श्रृंगार चंवरी


बनवीर की दीवार के मध्य भाग में राजपूत व जैन स्थापत्य कला के समन्वय का एक उत्कृष्ट नमूना है जो "श्रृंगार चंबर'' के नाम से प्रसिद्ध है। इसके मध्य में एक छोटी-सी वेदी पर चार खम्भों वाली छतरी बनी हुई है। कहते है कि •महाराणा कुम्भा की राजकुमारी के विवाह की 'चेंबरी' (वह स्थान जहाँ पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न होता है।) और इसीलिए यह 'श्रृंगार चँवरी' के नाम से प्रसिद्ध हो गया, किन्तु इसमें प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार मूल में इसका जैन मन्दिर होना पाया जाता है जिसके निर्माण का श्रेय महाराणा कुम्मा के काषाध्यक्ष बेलका, जो शाह केल्हा का पुत्र था। इस लेख से यह भी ज्ञात होता है कि मूल नायक की प्रतिष्ठा खरतरगच्छ के आचार्य जिन सेनसूरि के हाथों सम्पन्न हुई थी। अतः स्मारक के मध्य स्थित 8 फीट 9 इंच (लगभग 264 सेन्टीमीटर) ऊँची वेदी पर महाराणा कुम्भा की राजकुमारी की चंबरी न रहकर वास्तव में जिन-समवसरण सर्वतोभद्र प्रतिमा (चीमुखी मूर्ति) रही होगी, जो मुगलों के आक्रमण के समय विध्वंश कर दी गई हो।


पाँच फीट (152 से.मी) ऊँचे प्रसाद-पीठ पर बने इस वर्गाकार भवन के प्रवेश द्वार उत्तर और पश्चिम दिशा में हैं जिनके ऊपर पार्श्वनाथ की मूर्तियाँ बनी है। दक्षिण और पूर्व दिशा में सुन्दर गवाक्ष हैं, इसके बाह्य भाग में भी देवी-देवताओं व अनेक नृत्य मुद्राओं की मूर्तियाँ सुन्दर ढंग से तराशी गयी हैं।

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